नागपुर कांग्रेस अधिवेशन दिसंबर 1920

कोलकाता अधिवेशन में जहां गांधी जी ने असहयोग आंदोलन से संबंधित प्रस्ताव को रखा था, वहीं दिसम्बर 1920 में कांग्रेस के नागपुर वार्षिक अधिवेशन  (अध्यक्ष श्री विजय राघवाचार्य)  में सी.आर.दास ने असहयोग आंदोलन से संबंधित प्रस्ताव को रखा, जिन्होंने कोलकाता कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में इसका विरोध किया था। इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया। दरअसल सी.आर. दास ने चुनाव के बहिष्कार मुद्दे को लेकर जो अपनी नाराजगी जाहिर की थी, नवंबर 1920 में चुनाव के संपन्न हो जाने के साथ ही खत्म हो गया था, इसलिए उन्होंने ही इस अधिवेशन में असहयोग से संबंधित प्रस्ताव को रखा। कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में समर्थन मिलने के बाद यह आंदोलन अपना तीव्र रुख प्राप्त कर लिया ।

नागपुर अधिवेशन में कांग्रेस के संविधान में परिवर्तन :-

कांग्रेस के जनाधार को और भी मजबूत करने के लिए गांधीजी ने नागपुर अधिवेशन में कांग्रेस के संविधान में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया :-

  1. कांग्रेस का लक्ष्य संवैधानिक तथा वैधानिक तरीकों से स्वशासन की प्राप्ति से बदलकर अपना शांतिपूर्ण और वैध तरीकों से स्वराज्य प्राप्त करना हो गया था।
  2. कांग्रेस में 15 सदस्यों की एक कांग्रेस कार्यकारी समिति बनाई गई इसका काम रोजमर्रा के कार्य की देखभाल करना था। इसके अतिरिक्त एक 300 सदस्य अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का भी गठन किया गया।
  3. इसके पहले कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी यह थी, कि इसके पास वर्षभर कार्य करने के लिए कोई स्थाई समिति नहीं थी, जिससे इसका प्रभाव काफी सीमित था।
  4. क्रांति समितियों का गठन भाषा के आधार पर किया जाना था, ताकि स्थानीय भाषा का प्रयोग करके कांग्रेस संगठन को गांव मोहल्ले तक पहुंचाना था।
  5. गरीब लोग भी कांग्रेस के सदस्य बन सके इसके लिए कांग्रेस की सदस्यता शुल्क चार आने वार्षिक कर दिया गया।
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